इस साल भारत में दीपावली का पर्व 1 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। भारत सरकार ने विभिन्न विद्वानों और धार्मिक अधिकारियों के साथ परामर्श के बाद इस तारीख को तय किया, जिससे पहले अमावस्या तिथि के संयोग से उत्पन्न भ्रम का समाधान हुआ। अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर की शाम से 1 नवंबर तक फैली हुई है, जिसके कारण प्रारंभिक रूप से दीवाली की तिथि को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ था।
तिथि का विशेष संयोग
इस वर्ष अमावस्या तिथि का प्रारंभ 31 अक्टूबर को शाम 3:55 बजे से हो रहा है और यह 1 नवंबर को शाम 6:15 बजे समाप्त होगी। इस अद्वितीय संयोग के कारण विद्वानों के बीच यह बहस शुरू हो गई थी कि दीवाली का पर्व 31 अक्टूबर की प्रदोष काल (संध्या) में मनाया जाए या 1 नवंबर को। हालांकि, इंदौर में 150 से अधिक ज्योतिषाचार्यों और विद्वानों ने एकत्र होकर निष्कर्ष निकाला कि इस वर्ष 1 नवंबर को ही दीवाली मनाई जानी चाहिए। इस दिन का स्वाती नक्षत्र भी लक्ष्मी पूजन के लिए शुभ माना गया है।
निर्णय की प्रक्रिया
विभिन्न धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, जब अमावस्या दो दिनों में विभाजित हो तो दीपावली को दूसरे दिन ही मनाना चाहिए। इसी मान्यता के आधार पर विद्वानों और धार्मिक अधिकारियों ने यह निर्णय लिया कि इस वर्ष मुख्य दीवाली का पूजन 1 नवंबर को ही सर्वोत्तम रहेगा। यह निर्णय सांस्कृतिक मान्यताओं के अनुरूप है, जिसमें माना जाता है कि लक्ष्मी पूजन को शुभ मुहूर्त में करने से पूरे वर्ष धन-समृद्धि और सुख-शांति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
स्थानीय स्तर पर विविधताएं
हालांकि, राष्ट्रीय स्तर पर 1 नवंबर की तिथि को मान्यता दी गई है, फिर भी कुछ क्षेत्रीय परंपराओं के आधार पर कुछ स्थानों पर 31 अक्टूबर को दीवाली से जुड़े रिवाज मनाए जा सकते हैं। लेकिन प्रमुख शहरों और अयोध्या जैसे पवित्र स्थलों में मुख्य दीवाली 1 नवंबर को मनाई जाएगी, जहां दीपों की भव्य सजावट और सामूहिक आयोजनों की योजना बनाई गई है।
दीवाली 2024 का पूरा कार्यक्रम
तय तारीख के साथ, इस साल दीवाली के प्रमुख कार्यक्रम निम्नलिखित होंगे:
- धनतेरस: 29 अक्टूबर
- नरक चतुर्दशी (छोटी दीवाली): 30 अक्टूबर
- मुख्य दीवाली (लक्ष्मी पूजन): 1 नवंबर
- गोवर्धन पूजन: 2 नवंबर
- भाई दूज: 3 नवंबर
इस वर्ष का छह-दिवसीय पर्व देशभर में दीयों की रोशनी, खुशियों और पारिवारिक मेलजोल के साथ मनाया जाएगा।
इस निर्धारित तारीख से भारत के परिवारों और समुदायों को दीवाली की तैयारी और मिलजुलकर इस पर्व को मनाने का मार्गदर्शन मिलेगा। दीवाली के इस पावन अवसर पर हर वर्ष की तरह इस बार भी भारत की समृद्ध परंपराएं जीवित रहेंगी और हर्षोल्लास के साथ मनाई जाएंगी।