भारतीय संगीत के सुनहरे दौर की बात करें तो मोहम्मद रफी का नाम सर्वप्रथम आता है। उनकी मखमली आवाज़, अद्भुत गायकी शैली और बहुमुखी प्रतिभा ने भारतीय सिनेमा के संगीत को नए आयाम दिए। आज, 31 जुलाई को, हम उनकी 44वीं पुण्यतिथि मना रहे हैं, और इस मौके पर हम उनके जीवन की कुछ अनसुनी कहानियाँ और उनके द्वारा गाए गए शीर्ष 10 गानों पर एक नज़र डालते हैं।
अनसुनी कहानियाँ और रोचक तथ्य
शुरुआती जीवन: मोहम्मद रफी का जन्म 24 दिसंबर 1924 को पंजाब के कोटला सुल्तान सिंह गाँव में हुआ था। उनके बड़े भाई हमीद ने उनके संगीत में रुचि को पहचाना और उन्हें मुंबई ले आए।
पहला गाना: रफी ने अपने करियर की शुरुआत 1941 में फिल्म ‘गाँव की गोरी’ से की थी, जिसमें उन्होंने ‘ऐ दिल हो काबू में’ गाना गाया था।
संगीत साधना: रफी साहब ने हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत में भी अपनी महारत हासिल की थी। उन्होंने उस्ताद अब्दुल वहीद खान से प्रशिक्षण लिया।
भाषाओं का बहुरंगी संसार: रफी ने केवल हिंदी और उर्दू में ही नहीं, बल्कि 16 अन्य भाषाओं में भी गाने गाए, जिनमें पंजाबी, बंगाली, मराठी, गुजराती, और कन्नड़ शामिल हैं।
गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड: रफी साहब के नाम 26,000 से अधिक गाने गाने का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड है, जो उनके संगीत की विशालता को दर्शाता है।
गायकी के लिए समर्पण: यह कहा जाता है कि रफी ने एक बार मुंबई की बारिश में छतरी लेकर रिकॉर्डिंग स्टूडियो तक पहुँचे थे, क्योंकि उन्हें उस दिन गाना रिकॉर्ड करना था और उन्हें समय पर पहुँचना था।
आर्थिक मदद: रफी साहब अपने सहकर्मियों और संगीतकारों की आर्थिक मदद करने में कभी पीछे नहीं हटते थे। उन्होंने कई संगीतकारों और गायकों को आर्थिक तंगी से बाहर निकाला।
गोपनीय दानवीर: रफी साहब ने अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा चुपचाप दान कर दिया। वे अपने दान का कभी प्रचार नहीं करते थे।
नेता और अभिनेता भी फैन: रफी साहब की आवाज़ के मुरीद केवल आम लोग ही नहीं, बल्कि कई बड़े नेता और अभिनेता भी थे। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और राज कपूर उनके बहुत बड़े प्रशंसक थे।
पुरस्कार और सम्मान: रफी साहब को छह फिल्मफेयर पुरस्कार और एक राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें 1967 में भारत सरकार द्वारा ‘पद्म श्री’ से नवाजा गया।
मोहम्मद रफी के शीर्ष 10 गाने
यहाँ बदला वफ़ा का (जुगनू): यह गाना उनकी पहली बड़ी हिट थी और इसे सुनकर आज भी लोग उनके आवाज़ के जादू में खो जाते हैं।
चौदहवीं का चाँद हो (चौदहवीं का चाँद): एक रोमांटिक गाना जो मोहब्बत की मिठास को बखूबी बयान करता है।
तुम जो मिल गए हो (हंसते ज़ख्म): एक भावुक गाना जो प्रेम की गहराई को छूता है।
मेरे महबूब तुझे (मेरे महबूब): यह गाना मोहम्मद रफी की आवाज़ में एक अलग ही निखार लाता है।
खिलते हैं गुल यहाँ (शर्मीली): एक खुशमिजाज गाना जो ज़िंदगी की खुशियों को बयान करता है।
क्या हुआ तेरा वादा (हम किसी से कम नहीं): एक वादा जो कभी पूरा नहीं हुआ, उसकी पीड़ा को यह गाना बहुत खूबसूरती से पेश करता है।
बहारों फूल बरसाओ (सूरज): एक रोमांटिक गीत जो आज भी शादियों में सुना जाता है।
पर्दा है पर्दा (अमर अकबर एंथनी): एक मस्तीभरा गाना जो हर किसी के दिल को छू जाता है।
आदमी मुसाफिर है (अपना देश): ज़िंदगी के सफर को बयान करता यह गाना हर किसी की ज़िंदगी का हिस्सा बन चुका है।
सर जो तेरा चकराए (प्यासा): एक मजेदार गाना जो आपको मुस्कुराने पर मजबूर कर देगा।
मोहम्मद रफी की आवाज़ आज भी हमारे दिलों में गूंजती है। उनकी गायकी के बिना भारतीय सिनेमा अधूरा है। उनकी पुण्यतिथि पर हम उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनकी यादों को संजोए रखते हैं।